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बीएचईएल की अगुवाई वाले कंसॉर्टियम को 80 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का ऑर्डर - आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी छलांग

Date : 12/04/2023

बीएचईएल की अगुवाई वाले कंसॉर्टियम को 80 वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण का ऑर्डर - आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ी छलांग

नई दिल्ली, 12 अप्रैल: वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण तथा रखरखाव के लिए रेलवे के सबसे बड़े टेंडरों में से एक के तहत, बीएचईएल-टीडब्ल्यूएल (बीएचईएल - टीटागढ़ वैगन्स लिमिटेड) कंसॉर्टियम को 80 वंदे भारत ट्रेनों का ऑर्डर दिया गया है।

200 ट्रेनों के इस प्रतिष्ठित टेंडर में, बीएचईएल की अगुवाई वाला कंसॉर्टियम कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच L2 (दूसरे स्थान पर) रहा और इसे 80 वंदे भारत ट्रेनों का 23,000 करोड़ से अधिक (करों और शुल्कों को छोड़कर) मूल्य का ठेका दिया गया है। ऑर्डर के कुल मूल्य में से 9,600 करोड़ रुपये ट्रेन सेटों की आपूर्ति के लिए तथा शेष राशि 35 वर्ष की अवधि तक इनके रखरखाव के लिए दिया जाना है। यह ऑर्डर कंपनी के विविधीकरण अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।

कंसॉर्टियम अपने  विनिर्माण केन्द्रों और भारतीय रेलवे की आईसीएफ-चेन्नई कारखाने में कम ऊर्जा खपत करने वाली 80 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण, परीक्षण, कमीशनिंग और आपूर्ति करेगा। इन ट्रेनों की डिजाइन/ऑपरेटिंग स्पीड 176/160 किमी प्रति घंटा (सेमी-हाई स्पीड) होगी।

भारतीय रेलवे के रॉलिंग स्टॉक इलेक्ट्रिक्स के प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में से एक होने के नाते, प्रणोदन प्रणाली यानि की आईजीबीटी-आधारित ट्रैक्शन कनवर्टर-इन्वर्टर, औग्जीलियरी (सहायक) कनवर्टर, ट्रेन नियंत्रण प्रबंधन प्रणाली, मोटर, ट्रांसफॉर्मर और यांत्रिक बोगियों की आपूर्ति बीएचईएल के कार्यक्षेत्र में शामिल होंगी। इन उत्पादों का निर्माण बीएचईएल के बेंगलुरु, भोपाल और झांसी स्थित विनिर्माण केन्द्रों में किया जाएगा।

भारत के अनेक शहरों के मेट्रो ट्रेनों और भारतीय रेलवे के रॉलिंग स्टॉक का  निर्माता होने के नाते, यांत्रिक कोचों के निर्माण की जिम्मेदारी बीएचईएल के कंसॉर्टियम साझेदार, टीडब्ल्यूएल को दी गई है। ट्रेनों का अंतिम समेकन, परीक्षणकमीशनिंग और रखरखाव बीएचईएल और टीडब्ल्यूएल द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।

बीएचईएल-टीडब्ल्यूएल कंसॉर्टियम पांच बोलीदाताओं में से एकमात्र पूरी तरह से स्वदेशी भारतीय बोलीदाता था और इस समूह को यह ऑर्डर प्राप्त होना आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।   दोनों ही कंपनियां भारत के लोगों को विश्व स्तर की प्रौद्योगिकी प्रदान करने और राष्ट्र के विकास में योगदान करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं ताकि सेमी-हाई स्पीड पैसेंजर रॉलिंग स्टॉक सेगमेंट में देश वास्तव में आत्मनिर्भर बन सके।

 

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